देवास। शहर के मध्य में स्थित बहुमंजिला चामुंडा कंपलेक्स में देवास विकास प्राधिकरण कार्यालय है। इस कार्यालय में कलेक्टर श्री चंद्रमौली शुक्ला, पुलिस अधीक्षक डॉक्टर शिव दयाल सिंह व नगर निगम आयुक्त विशाल सिंह का आना जाना लगा रहता है। जहां अधिकारी बैठते हैं वहां तो कक्ष में स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है, लेकिन कार्यालय में अन्य स्थानों पर जहां आने जाने वाले आमजन व कर्मचारियों के लिए शौचालय बने हैं वहां जगह-जगह गंदगी पसरी पड़ी है।
यहा प्रथम मंजिल पर एक मीडिया हाउस के सामने जो शौचालय है, वहा ईतनी गंदगी है कि लघुशंका के लिए जाने वाले कतराते हैं। यहां मास्क लगाने के बाद भी बदबू से बचा नहीं जा सकता। जब यहां की स्थिति देखी तो गंदगी देखकर ऐसा लगा मानो स्वच्छता को लेकर अधिकारी ही क्या कर्मचारी एवम् आमजन भी गंभीर नहीं है ऐसी स्थिति में जब कोरोना महामारी से संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है, डेंगू और वायरल फीवर शहर में जोर पकड़ता जा रहा है।
इस तरह की अनदेखी के क्या परिणाम सामने आएंगे यह समझा जा सकता है। स्थिति यह है की यहां पर डस्टबिन तक देखने को नहीं मिले, दीवारों के कोने में कचरा पड़ा हुआ है, तो दीवारों पर गंदगी की परत जम गई है। शौचालय में तो सफेद रंग की टाइल्स काली पड़ गई है। लगता है अधिकारी कर्मचारियों ने स्वच्छता अभियान के तहत स्वच्छता की जो शपथ ली थी उसे भूल चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि चामुंडा कांप्लेक्स देवास शहर का एक महत्वपूर्ण स्थान है जहां प्राधिकरण व जनसंपर्क कार्यालय से लेकर विभिन्न मंजिलों पर कई संस्थाओं के कार्यालय भी है। यहा प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का आना जाना लगा रहता है। अब देखना यह है कि यहां आने जाने वाले अधिकारी, कर्मचारी व आमजन स्वच्छता के प्रति अपनी जागरूकता दिखाते हैं या नहीं। क्यों की स्वच्छता बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है किसी एक की नहीं।
मैनाश्री कांप्लेक्स में भी गंदगी का साम्राज्य
शहर के मध्य चामुंडा कांप्लेक्स के अलावा एक और बहुमंजिला इमारत मैनाश्री कंपलेक्स भी है । यहां पर भी गंदगी का साम्राज्य है। चामुंडा कांप्लेक्स व मैना श्री कंपलेक्स दोनों में ही बड़े-बड़े मीडिया संस्थान के कार्यालय व जनसंपर्क कार्यालय भी है, लेकिन यहा पर भी स्वच्छता के प्रति जागरूकता की कमी देखी जा रही है। यह तो सिर्फ शहर के दो प्रमुख कांप्लेक्स हैं ,जहां की स्थिति यह है अब यह समझा जा सकता है कि शहर में अन्य स्थानों पर क्या हालात होंगे। स्थिति यह है की न तो जिम्मेदार अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधि व आमजन स्वच्छता के प्रति जागरूक नजर आ रहे हैं। जिस शहर में यह हालात हो तो फिर वह शहर स्वच्छता में नंबर वन कैसे आ सकता है। यदि इन जिम्मेदारों ने समीप के शहर इंदौर से कुछ सीखा होता तो शायद शहर में इस तरह के नजारे देखने को नहीं मिलते।