मुँह पर है मास्क आँखों पर तो नहीं
कोरोना आपदा में भी अवसर ढूंढने वालों पर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई
कोरोना आपदा में अवसर ढूंढ कर दवाई इंजेक्शन की कालाबाजारी व भ्रष्ट आचरण करने वाले बैखोफ और निडर होकर अपना काम कर रहे है। आवश्यक रेमदेसीविर इंजेक्शन के दाम आसमान पर पहुंचा दिए तो अन्य दवाइयां भी महंगे दामों पर बेचने लगे। ऐसे कई समाचार सामने आ चुके हैं इसके अलावा कई अस्पतालों में बेड की उपलब्धता को लेकर भ्रष्ट आचरण अपनाया गया। बेड उपलब्ध कराने के नाम पर मनमाना शुल्क लिया गया ऐसे भी कई समाचार बार बार प्रकाशित हुए । बावजूद इसके ऐसे कालाबाजारी व भ्रष्ट आचरण अपनाने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली । छुटपुट कार्रवाई हुई लेकिन कालाबाजारीयो का कारोबार बेरोकटोक जारी रहा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कालाबाजारी व भ्रष्ट आचरण अपनाने वाले इतने बेखौफ और निडर क्यों हैं ? इसके पीछे भी कई कारण है जो सामने आए हैं।
लिखित शिकायत ना होना
कालाबाजारी व भ्रष्ट आचरण अपनाने वाले इन दिनों क्यों बचे हुए हैं इसके पीछे एक कारण है बे कि उनकी लिखित शिकायत नहीं होती । लोग अपना काम होने के बाद शिकायत नहीं करते। जबकि वे जानते हैं कि वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए अधिक राशि देकर कालाबाजारी और भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर तो अपनी भड़ास निकालते हैं लेकिन अधिकारियों को लिखित शिकायत न करने से वे कार्रवाई से बच जाते हैं यही कारण है कि कालाबाजारी व भ्रष्ट आचरण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
जिम्मेदारों का स्वत: संज्ञान नहीं लेना
दवाई व इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने व भ्रष्ट आचरण अपनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों का स्वत:: संज्ञान न लेना भी एक प्रमुख कारण है। ऐसे अधिकतर जिम्मेदार अधिकारी लिखित शिकायत का इंतजार करते हैं, और शिकायत ना मिलने के अभाव में कार्रवाई नहीं करते। जिससे कालाबाजारी करने वाले व भ्रष्ट आचरण अपनाने वाले बेखौफ और निडर हो चले हैं।
मजबूरी का फायदा उठाने वाले को मददगार समझना
करोना संक्रमण के चलते अपने मरीजों का उपचार करा रहे लोग उनकी मजबूरी का फायदा उठाने वाले कालाबाजारीयों को अपना मददगार समझते हैं मुसीबत में अधिक राशि लेकर आवश्यक दवा इंजेक्शन वापसी जन उपलब्ध कराने पर वह सब कुछ भूल जाते हैं और उस कालाबाजारी को स्वीकार कर लेते हैं
कईं मेडिकल स्टोर संचालक लिप्त
दवाओं व इंजेक्शन की कालाबाजारी मेंं अन्य लोगों के अलावा कई मेडिकल स्टोर संचालक भी लिप्त है। मरीजों की मदद के बहाने किसी न किसी माध्यम से व्यवस्था करवाते हैं और मोटी रकम ऐंठ लेते हैं । ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से एक गिरोह पर तो कार्रवाई भी हो चुकी है बावजूद इसके कालाबाजारी का यह खेल बदस्तूर जारी है।
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