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नामी स्कूलों से अपने बच्चों को निकाल रहे अभिभावक

जहां प्रवेश के लिए लगती थी कतारें अब टीसी निकालने के लिए दे रहै आवेदन भारी भरकम फीस से बचने के लिए , बच्चों को छोटे स्कूलों  में दिला रहे हैं प्रवेश

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कोरोना संकट के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोग अब नामी स्कूलों की भारी-भरकम फीस को लेकर परेशान हैं। स्कूलों द्वारा अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए नोटिस जारी किए जा रहे हैं , जिसके चलते अभिभावक फीस जमा करने को लेकर मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं । फल स्वरूप बीते वर्ष की फीस जमा करने के साथ अब अभिभावक भारी-भरकम फीस से बचने के लिए अपने बच्चों को छोटे स्कूलों में प्रवेश दिलाने को मजबूर हो गए हैं । स्थिति यह है कि जिन नामी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए कतार लगी रहती थी उन स्कूलों में अब अभिभावक अपने बच्चों की टीसी निकालने के लिए आवेदन देने लगे हैं। एक साथ बच्चों की टीसी निकालने को लेकर इन नामी स्कूल संचालकों में भी कुछ बेचैनी होने लगी है ।इन स्कूलों के प्रबंधक कैसे भी इन बच्चों को अपने ही स्कूल में रोकने के लिए प्रयास में जुट गए हैं , लेकिन पुरानी फीस को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा रहा है । इतना जरूर है कि जो बकाया फीस है वह किस्तों में लेने को तैयार है । बावजूद इसके अभिभावक आगामी वर्ष में बच्चों की भारी-भरकम फीस से बचने के लिए छोटे स्कूलों  में अपने बच्चों को प्रवेश दिला रहे हैं । इन स्कूलों की फीस नामी स्कूलों की अपेक्षा बहुत ही कम है । यहां तक कि जिन सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए लोग कतराते थे अब इन स्कूलों में ही प्रवेश दिलाने का प्रयास करने लगे हैं । अभीभावको का तो यहां तक कहना है कि छोटे स्कूलों में प्रवेश दिला कर बच्चों को घर पर व कोचिंग में पढ़ाई करवाएंगे और ऐसा कर वे नामी स्कूलों की भारी फीस से बस जाएंगे । उन्हें अत्यधिक आर्थिक बोझ इस संकट में झेलना नहीं पड़ेगा । यह किसी एक शहर की स्थिति नहीं बल्कि पूरे देश की स्थिति हैं मध्य प्रदेश के देवास जिले में तो इन दिनों अभिभावक यही सब कुछ कर रहे हैं। अधिकतर लोग बच्चों की टीसी निकालने के लिए आवेदन दे रहे हैं। अब देखना यह है कि ऐसे कुछ नामी स्कूल जो अपनी शर्तों पर अभिभावकों को नचाते थे वे अब क्या कोई राहत देते हैं या नहीं।

स्कूलों ने खर्चा किया कम पर फीस में कटौती नहीं

कोरोना संकट के चलते जब स्कूल बंद करने की नौबत आई तो अमूमन सभी छोटे बड़े स्कूलों ने अपने खर्चों में कटौती की। स्कूलों में जो शिक्षक शिक्षिकाएं पढ़ाने आती थी । वह स्टाफ घटकर 40% ही रह गया और कहीं कहीं तो 20% स्टाफ से ही काम चलाया गया। कई स्कूल संचालकों ने स्कूल का खर्चा कम कर दिया लेकिन कैसे स्कूल संचालकों ने अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की फीस में कोई कटौती नहीं की । वर्ष भर की कुल फीस की पूरी वसूली की जा रही हैं । अभिभावक गुहार लगा रहे हैं कि जब स्कूलों में पढ़ाई नहीं हुई ,ऑनलाइन पढ़ाई भी ठीक ढंग से नहीं हुई और स्कूलों में खर्च में कटौती की गई तो फिर फीस में भी कमी की जाना चाहिए । अन्य खर्चों को छोड़कर ट्यूशन फीस में भी कटौती होनी चाहिए लेकिन फिस पूरी ली जा रही है ट्यूशन फीस इन स्कूलों की इतनी अधिक है कि अभिभावकों को वह चुकाने में भी पसीना आ रहा है । उधर अभिभावकों की परेशानी को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी कोई राहत नहीं मिल रही हैं। वही जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

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