देवास। पिछले कुछ वर्षों से जब – जब भी अवसर आया सेंधव समाज के भाजपा से जुड़े नेताओं को प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला। मामला विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण का हो या फिर निगम मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति का। भाजपा से जुड़े सेंधव समाज के नेताओं की उपेक्षा चर्चा का विषय बनी हुई है। जबकि देवास जिले की दो और प्रदेश की कुल 10 विधानसभा क्षेत्रों में सेंधव क्षत्रिय राजपूत समाज के मतदाताओं की संख्या परिणाम को प्रभावित करने जैसी हैं। बावजूद इसके गत विधानसभा चुनाव, उपचुनाव व अब निगम मंडल अध्यक्षों की सूची में सेंधव समाज के किसी भी नेता का नाम नहीं है। सूत्रों की माने तो पिछले दिनों मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा गया था जिसमें भाजपा से जुड़े सेंधव समाज के रायसिंह सेंधव सहित समाज के अन्य नेताओं को निगम मंडल अध्यक्ष बनाने की और ध्यान आकर्षित कराया गया था।
लेकिन जब निगम मंडल अध्यक्षों की सूची जारी हुई तो सूची में कहीं पर भी नाम शामिल नहीं पाया गया। बल्कि देवास से किसी अन्य नेता का भी कोई नाम नहीं आया। निगम मंडल अध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद अब इस मामले को लेकर सेंधव क्षत्रिय राजपूत समाज में चर्चा जोरों पर हैं और वे समाज के नेताओ की इस तरह उपेक्षा को लेकर निराश बताए जा रहे हैं। अगर सेंधव समाज में यह निराशा आक्रोश में तब्दील हो गई तो भाजपा के गढ़ माने जाने वाले देवास जिले के 2 विधानसभा क्षेत्र व प्रदेश के 10 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा नेताओं को नाराजगी झेलना पड़ सकती है। बात सेंधव समाज के हिंदूवादी नेता रायसिंह सेंधव की करे तो वे संगठन में पूरी जवाबदारी से काम करते आए हैं, और उनकी दावेदारी हमेशा मजबूत रही है, लेकिन हर बार भाजपा के आला नेताओं की समझाइश पर वह संगठन के हित में काम करते रहे और टिकट वितरण व नियुक्ति को लेकर पार्टी में अनुशासित तरीके से अपनी बात रखते आए हैं। संगठन के प्रति इतने समर्पण भाव से काम करने के बाद भी सेंधव का नाम इस बार सूची में शामिल नहीं किया गया। हालांकि पूर्व में सेंधव को पाठ्य पुस्तक निगम की जिम्मेदारी दी गई थी जो उन्होंने बखूबी निभाई। संभावनाएं तो अभी भी बरकरार है। अब देखना यह है कि अगली सूची में सेंधव सहित समाज अन्य किसी नेता का नाम शामिल होता है या नहीं।
प्राधिकरण अध्यक्ष का पद खाली
देवास विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष का पद भी वर्षों से खाली पड़ा हुआ है। यहां का कामकाज तत्कालीन कलेक्टर ही देखते रहे हैं और वर्तमान में भी देवास जिला कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला प्राधिकरण की व्यवस्था भी देख रहे हैं। देवास विकास प्राधिकरण अध्यक्ष पद लंबे समय से खाली होने के कारण कई योजनाएं मूर्त रूप नहीं ले पाई हैं तो कई योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। कोई नई योजना भी नहीं बनी है। उधर राजनीतिक हलकों में इस पद को लेकर भी फिर में चर्चा फिर गरमा गई हैं। प्राधिकरण अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए कुछ नेता प्रयासरत हैं लेकिन उन्हें भी सफलता अभी तक नहीं मिली हैं।