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भक्ति और तपस्या अहंकार रहित हो.. अनंतरामजी महाराज

देवास।मनुष्य चाहे भक्ति करें या तपस्या करें जो भी की जाए वह निस्वार्थ भाव व अहंकार रहित होना चाहिए। भक्तों को कभी-कभी तपस्या व भक्ति करते- करते माला फेरते- फेरते इतना अहंकार हो जाता है कि वह माला की ही गिनती करने लगता है। कि मैंने परमात्मा के नाम की इतनी मालाओं को फेरी है। परंतु जो भगवान के सच्चे भक्त होते हैं, वह अहंकार रहित होते है। जो निस्वार्थ भाव से भक्ति करते हैं। भगवान को वह सब कुछ समर्पित कर देते है। यह विचार 25 से 31 मार्च तक जमुना विहार कॉलोनी में आयोजित की गई श्रीमद् भागवत कथा में अनंतराम महाराज ने प्रकट किए। इस दौरान मां चामुंडा सेवा समिति द्वारा महंत श्री का शाल, श्रीफल व पुष्पमालाओं से सम्मान किया गया। इस अवसर पर आयोजक मंडल की रेखा पडियार, राकेश पडियार, मां चामुंडा सेवा समिति प्रमुख रामेश्वर जलोदिया, विनोद पडियार, राधेश्याम पडियार, उमेद सिंह राठौड़ दिनेश सांवलिया, प्रदीप राठी, राधेश्याम बोडाना, मातृशक्ति देवकुंवर राठौर, मंजू जलोदिया, संगीता जोशी, मीराबाई नवगोत्री,प्रीति राठौर ने महाराजश्री का स्वागत व व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर महाआरती की गई। इस अवसर पर सैकड़ों धर्म प्रेमी नागरिकों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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