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सेना के सेवानिवृत्त डॉक्टरों में आपदा की घड़ी में जो जज्बा देखा जा रहा है ,क्या उसी तरह अन्य सेवानिवृत्त डॉक्टर भी अपनी सेवा देने के लिए आगे आएंगे और क्या उनसे इसके लिए अपील की जाएगी। इस सवाल पर देवास विधायक गायत्री राजे पवार ने कहा कि आपदा की घड़ी में जितने मदद के हाथ आगे आए उतना अच्छा है। हम ऐसे सेवानिवृत्त डॉक्टर ब चिकित्सकीय सेवा देने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों से जरूर अपील करते हैं , कि वह आगे आए और अपनी सेवाएं दे । वह कलेक्टर से व सीधे मुझ से भी संपर्क कर सकते हैं । हम उनका स्वागत करेंगे । वह इस आपदा की घड़ी में अपनी सेवा देकर मरीजों को राहत पहुंचाएं ।
डॉक्टरी व्यवसाय नहीं सेवा का नाम
देशभर में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है । स्थिति यह है कि पिछले तीन-चार दिनों से देश में नये मरीजों का आंकड़ा चार लाख से अधिक आ रहा है और यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है । ऐसे में इस आपदा की घड़ी में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की अत्यधिक आवश्यकता है । जो डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध है, वह बहुत कम है। ऐसे में मरीजों को समय पर उपचार मिलने में दिक्कत आ रही है । इसी को ध्यान में रखते हुए सेना के रिटायर्ड डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों ने आगे आकर सेवा देना शुरू कर दिया है।
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या देश के अन्य सेवानिवृत्त डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों को इस आपदा की घड़ी में आगे नहीं आना चाहिए ? अभी तक कुछ एक नाम को छोड़ दे तो अधिकतर सेवानिवृत्त डॉक्टर व ऐसे कर्मचारी जो मेडिकल सेवा दे सकते हैं, और सेवानिवृत्त होकर घर में बैठे हैं, वे आगे नहीं आए हैं। जबकि चिकित्सा एक सेवा है व्यवसाय नहीं। इस आपदा की घड़ी में अब यही सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या सेना जैसा जज्बा देश के अन्य डाक्टरों व चिकित्सा सेवा देने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों में देखने को मिलेगा? क्या वे आगे आएंगे और इस आपदा की घड़ी में अपने हाथ आगे बढ़ाते हुए अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं देंगे ?