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लाखों का गबन, आरोप सिद्ध, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई

2 वर्ष पूर्व हो चुकी है एफ आई आर दर्ज अभी तक नहीं हुई गिरफ्तारी


देवास। विद्युत कर्मचारी साख सहकारी संस्था में लाखों रुपए की हेराफेरी और गबन के मामले में कुर्की जब्ती और संस्था को क्षति पहुंचाने के आदेश जारी होने के बाद भी सहकारिता उपायुक्त ने संस्था के पूर्व प्रबंधक महेंद्र सिंह ठाकुर को उपस्थिति दे दी। जबकि पूर्व प्रबंधक ठाकुर के खिलाफ सिविल लाइन थाना देवास में 420 में प्रकरण दर्ज है। यही नहीं पूर्व प्रबंधक महेंद्र सिंह ठाकुर और प्रशासक बीके मिश्रा ने संस्था के कई सदस्यों के नाम पर लाखों रुपए निकाल लिए जबकि वे सदस्य कभी संस्था में आए ही नहीं है। संस्था के पूर्व अध्यक्ष उम्मेदसिंह राजपूत ने बताया कि संचालक मंडल ने जब रिकार्ड देखा तो उसमें सदस्यों के नाम पर लोन खातों में चढ़ा मिला। संचालक मंडल ने वसूली के लिए विभाग को लिखा। जब वसूली चालू हुई तो पूरे मामले का पटाक्षेप हुआ। बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि पूर्व प्रबंधक महेन्द्रसिंह ठाकुर एवं प्रशासक बीके मिश्रा ने मिलकर संस्था के मृत सदस्यों के नाम से भी पैसे निकाल लिए और मृतक के परिजनों को भनक तक नहीं लगी। जब संचालक मंडल ने वसूली शुरू की तो सारा राज खुल गया। मामला उजागर हुए लगभग 3 वर्ष हो चुके हैं इस दौरान देवास, उज्जैन और भोपाल के अधिकारियों को शिकायत दर्ज की जा चुकी है । बावजूद इसके नियमों को ताक में रखकर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
-आरोप सिद्ध फिर भी कार्रवाई नहीं
संस्था के सदस्यों को दिए जाने वाले लोन के चेकों पर पूर्व प्रशासक मिश्रा और ठाकुर के हस्ताक्षर भी है। पूर्व के दोनों प्रबंधक एवं प्रशासक ने फर्जी तरीके से संस्था के सदस्यों के नाम पर अन्य लोगों को चेक थमा दिए। जब उनके अकाउंट से पैसा कटने लगा तब मामला उजागर हुआ। जांच अधिकारी द्वारा की गई जांच में दोनों पूर्व प्रबंधक और प्रशासक पर आरोप सिद्ध हुए। बावजूद वरिष्ठ अधिकारी कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं।
-इस तरह रचा गया षड्यंत्र
पूर्व प्रबंधक ठाकुर को उपस्थिति दिलाने के लिए पहले पेढ़ी भंग करने का दबाव बनाया गया। उसके बाद षडयंत्र पूर्वक साख सहकारी संस्था को भंग कर धर्मेन्द मालवीय को प्रशासक के रूप में पद पर बैठया गया।  इसके तुरंत बाद सहकारी साख संस्था में लाखों रुपए की हेराफेरी और गबन के दोषी पूर्व प्रबंधक महेन्द्र सिंह ठाकुर को सहकारिता उपायुक्त ने उपस्थिति दे दी। जबकि ठाकुर पर कुर्की जब्ती और गबन के आदेश हो चुके हैं। ठाकुर को उपस्थिति देना कहीं ना कहीं वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत को दर्शाता है।
-शिकायत ठंडे बस्ते में
संस्था अध्यक्ष उम्मेदसिंह राजपूत, संस्था सदस्य घनश्याम, प्रेमसिंह और अंतरसिंह ने  आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं मध्यप्रदेश भोपाल को एक शिकायती आवेदन संबोधित किया था,  जिसमें वरि. सह. निरीक्षक देवास बीके मिश्रा पर जांच प्रभावित करने का आरोप लगाया गया था। साथ ही मिश्रा के स्थानांतरण की भी बात कही गई थी, लेकिन शिकायत पर ध्यान ना देते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
शिकायतकर्ता-1, धनश्याम पिता जगन्नाथ के शिकायती आवेदन पत्र से मालूम हुआ कि उनके वेतन पत्रक से अधिक कटौत्रा हो रहा है। विद्युत कर्मचारी साख सहकारी संस्था मर्यादित देवास से पता चला कि संस्था में उनके ऋण खाते में बकाया बताया है। संस्था अध्यक्ष ने ऋण आवेदन फॉर्म बताया, जिससे मालूम हुआ कि ऋण आवेदन फॉर्म पर अन्य व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर कर लोन निकाला है जबकि वह व्यक्ति ऋण के लिए संस्था में गया ही नहीं।
अवलोकन के दौरान आवेदन पत्र आधा अधूरा भरा होना पाया गया। धनश्याम पिता जगन्नाथ राशि 30 हजार लिखकर घनश्याम के हस्ताक्षर होना पाए गए। 6 अगस्त 2016 में  30 हजार रुपए का लोन स्वीकृत किया गया है। जिसके चेक पर तत्कालीन संस्था प्रशासक मिश्रा  एवं तत्कालीन संस्था प्रबंधक महेंद्र सिंह ठाकुर के हस्ताक्षर होना पाए गए हैं। उक्त चेक पर धनश्याम के हस्ताक्षर भी हैं। उक्त चेक से जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित देवास की शाखा भवानी सागर से धनश्याम के नाम से नकद आहरित हुए हैं। नियमानुसार अकाउंट पेय चेक जारी करना चाहिए था। श्री धनश्याम ने बताया कि ऋण आवेदन पत्र पर किए गए हस्ताक्षर मेरे नहीं। जांच में प्रथम दृष्टया चेक के पृष्ठ भाग पर पाए गए हस्तक्षेप जाली प्रतीत होते हैं।

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