औदुंबर समाज की इस
पहल की चहुओर हो रही
सराहना
ललित शर्मा देवास। अन्न का अपमान ना हो, व्यर्थ ना जाए तथा अन्य जरूरतमंद तक पहुंचे इस उद्देश्य को लेकर औदुंबर ब्राह्मण समाज ने एक पहल की और अब इस पहल की समाज में चहुओर सराहना हो रही है। समाज में इस बात की पहल महिलाओं ने आगे आकर की है। अब इस पहल का सभी अनुसरण करने लगे हैं। इतना ही नहीं अब तो भोजन की टेबल पर विभिन्न प्रकार के व्यंजन अधिक संख्या में बनाकर उसके व्यर्थ होने पर भी पहल शुरू हो गई हैं । अब व्यंजन भी सीमित बनाने पर जोर दिया जा रहा है। रविवार को यह सब कुछ औदुंबर धर्मशाला में देखने को मिला। यहां पर समाज की मासिक पत्रिका औदुंबर वाणी के 24 वे वर्ष के अंक के विमोचन अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के पश्चात सह भोज का आयोजन किया गया। सह भोज में सीमित व्यंजन बनाए गए सिर्फ चार प्रकार की सामग्री बनाकर समाज को अत्यधिक व्यंजन न बनाने का संदेश दिया गया। आयोजकों का कहना था कि अधिक व्यंजन बनाने से भोजन सामग्री की बर्बादी होती हैं तथा इससे आर्थिक नुकसान भी होता है। भोजन शुरू होते ही समाज की महिलाए भोजन के बाद प्लेट डालने वाली टब के आसपास खड़ी हो गई।इन महिलाओं ने भोजन शुरू होने से पहले ही घोषणा कर दी कि प्लेट में झूठा ना छोड़े। इसके बाद जो भी टब में प्लेट डालने आया झूठा ना देखकर उन्होंने उनके सम्मान में तालियां बजाई। ऐसा करने से प्लेट में झूठा ना छोड़ने को समाजजन प्रेरित हुए तो इस पहल की सभी ने सराहना की। साथ ही अनावश्यक रूप से अधिक व्यंजन बनाकर भोजन की बर्बादी व आर्थिक नुकसान से समाज जन को बचाने की पहल को भी सभी ने सराहा। उल्लेखनीय है कि समाज में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में यह देखा जाता रहा था कि प्लेट में झूठा अधिक छोड़ा जा रहा है। जिससे भोजन की बर्बादी हो रही हैं। इससे बचने के लिए तथा अन्न का अपमान ना हो इस उद्देश्य से महिला मंडल ने यह पहल शुरू की जिससे सभी प्रेरणा ले रहे हैं। रविवार को जो आयोजन हुआ उसमें अधिकतर लोगों ने झूठा नहीं छोड़ा ऐसे में भोजन की बर्बादी नहीं हुई जो भोजन बचा वह जरूरतमंदों तक भी पहुंचाया गया। जब इस पहल को लेकर इन महिलाओं से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि जितना भोजन कार्यक्रमों में बनाया जाता है वह कार्यक्रम में आने वाले लोगों की संख्या के मान से बहुत अधिक होता है भोजन की बर्बादी होने से वह भोजन झूठन में चला जाता है। इसे देखते हुए हमने यह पहल शुरू की। अब कार्यक्रमों में भोजन बच भी जाता है तो हम उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाने की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा कि इसका अनुसरण सभी को करना चाहिए। लोग अपनी शान दिखाने के लिए कार्यक्रमों में इतने प्रकार के व्यंजन बनाते हैं कि लोग इन व्यंजनों को आधा खाते हैं और आधा झूठा डाल देते हैं। ऐसे में भोजन की बर्बादी होती हैं भोजन उतना ही बनाए जितना जितना आवश्यक हो और सबको और प्लेट में झूठा डालने से भी बचना चाहिए। जितना भोजन बचाएंगे उतने में कहीं जरूरतमंदों की भूख मिट सकती हैं। इन महिलाओं ने बताया कि हम कार्यक्रमों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग न करने पर भी जोर दे रहे हैं। इससे अब लगभग सभी कार्यक्रमों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग लोगों ने बंद कर दिया है।