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बच्चों को सनातन धर्म-संस्कृति से जोड़ने का करें प्रयास- सैंधव

सतपुड़ा एकेडमी में बच्चों

के प्रति दादा-दादी, नाना-

नानी के प्रेम काे दर्शाने

वाला हुआ अनूठा आयोजन



दादा-दादी एवं नाना-नानी से ही संस्कार व अनुशासन में रहने की शिक्षा बच्चों को मिलती है- कराड़ा


देवास। मक्सी रोड पर तुलजा विहार कॉलोनी में स्थित सतपुड़ा एकेडमी में प्री-प्रायमरी के नन्हे-मुन्ने बच्चों में दादा-दादी, नाना-नानी के प्रति प्रेम को दर्शाने के लिए अनूठा आयोजन हुआ। बच्चों ने गीतों व नाटक के माध्यम से अपने दादा-दादी व नाना-नानी के स्नेह का प्रदर्शन किया। आयोजन में विभिन्न प्रतियोगिताएं भी हुई, जिसमें दादा-दादी एवं नाना-नानी ने उत्साह के साथ भाग लिया।
कार्यक्रम में इसमें बच्चों ने दादा-दादी की छड़ी बनकर…, नन्हे-मुन्ने बच्चे हम…, मैंने कहा फूलों से…., प्यारे-प्यारे दादाजी प्यारी-प्यारी दादीजी…, नानी तेरी मोरनी को मोर ले गया…, छोटा बच्चा समझकर हमको ना समझाना रें…. जैसे गीतों पर बच्चों ने शानदार मंचीय प्रस्तुति दी। बच्चों ने राजस्थानी लोकगीत पर सुंदर नृत्य की प्रस्तुति दी। बच्चों ने एकल नाटक का मंचन किया, जिसमें दादा-दादी की सुबह की चाय-नाश्ते से लेकर उनकी दिनचर्या एवं गुणों के बारे में बताया। बच्चों की इस अद्भुत प्रस्तुति को देखकर उपस्थित दादा-दादी, नाना-नानी सहित अन्य लोग भावविभोर हो उठे। इस अवसर पर दादा-दादी, नाना-नानी को मंच पर बुलाया गया। मंच पर 15 कपों से पिरामिड बनाने की प्रतियोगिता करवाई गई। इसमें सिर्फ 10 सेंकड में पिरामिड बनाकर दादा-दादी, नाना-नानी ने सफलता हासिल की। इसी प्रकार पुराने गीतों की धुनें बजाई गई, जहां धुन के आधार पर गीतों की पहचान की गई। गीतों की प्रस्तुतियां भी दादा-दादी व नाना-नानी ने दी। इनका बच्चों ने तालियां बजाकर खूब उत्साह बढ़ाया। छोटे बच्चों ने अपने नाटक के माध्यम से दादा-दादी के त्याग को दर्शाया। इसमें पौते ने अपने माता-पिता के हृदय में परिवर्तन कर दादा-दादी को अपने साथ रखने के लिए प्रेरित किया। यह नाटक सभी के दिल को गहराई से स्पर्श कर गया। सभी ने बच्चों के अभिनय की प्रशंसा की।
ये बच्चे ही भारत को पुन: विश्वगुरु बनाएंगे-
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद् एवं प्रदेश भाजपा कार्यसमिति सदस्य अंबाराम कराड़ा ने कहा कि दादा-दादी एवं नाना-नानी में बच्चों के प्रति असीम प्रेम होता है। उन्हीं से ही संस्कार एवं अनुशासन में रहने की शिक्षा बच्चों को मिलती है। विद्यालय में बच्चे शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन का पाठ एवं संस्कार का ज्ञान हासिल करते हैं। ये ही बच्चे भारत को पुन: विश्वगुरु बनाएंगे। उन्होंने कहा कि सतपुड़ा एकेडमी में श्रेष्ठ शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन, संस्कार एवं विभिन्न गतिविधियों में बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता है, ये ही बच्चे आगे चलकर उच्च पदों पर आसीन होंगे। मेरा सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि वे अपने बच्चों को ऐसी संस्था में ही प्रवेश दिलाएं, जहां से बच्चे निकलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान प्रदान करें।

माता-पिता अपने बच्चों को अधिक समय दें-


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्था अध्यक्ष एवं मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष रायसिंह सैंधव ने कहा कि दादा-दादी एवं नाना-नानी वह पाठशाला है, जहां बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। मेरा सभी माता-पिता से आह्वान है कि वे प्रयास करें कि बच्चों को अधिक से अधिक समय दें और बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। बच्चों को हमारी सनातन धर्म एवं संस्कृति से भी जोड़ने का प्रयास करें। ऐसा करने से आप अपने बच्चों के श्रेष्ठ भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विशेष अतिथि कवि सुरेंद्रसिंह राजपूत थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पूजन के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत संस्था के संचालक भानुप्रतापसिंह सैंधव एवं प्राचार्य अमित तिवारी ने श्रीफल व पुष्पमालाओं से किया। संचालन आरती उपाध्याय ने किया। आभार प्री-प्रायमरी को-आर्डीनेटर सोमाली घोष ने माना। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दादा-दादी, नाना-नानी एवं अभिभावकगण उपस्थित थे। यह जानकारी मीडिया प्रभारी दिनेश सांखला ने दी।

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