जिसकी भक्ति में उत्सुकता, वह ध्रुव है- पं. इंद्रेश उपाध्याय
पत्रकारों ने की भागवत
पुराण की आरती
देवास। प्रतीक्षा प्रेम का सुंदर स्वभाव हे मन में ठाकुर जी के प्रति प्रेम भरकर प्रतीक्षा करोगे उतनी जल्दी ठाकुर जी प्रसन्न होते है। मन में जब तक प्रियतम प्राप्त की जिद नहीं होगी तब कृष्ण नहीं मिलेंगे। बहुत व्रत उपवास पूजा पाठ करने से ठाकुर जी नही, भगवान मिलते हैं। उनके पाने के संकल्प को जीत के साथ पूरा करने पर ठाकुर की कृपा असर दिखेगा। ध्रुव के पिता राजा उत्तानपाद उनकी दो पत्नी थी। यह हमारे अंदर भी है उत्तानपाद अर्थात जीवात्मा, जिसकी दो पत्नी है बुद्धि अर्थात सुनीति, दूसरी मन अर्थात सूरूची। सूची तत्काल सुख का विचार कर वस्तु को देखती है और अपनी रूचि में शामिल कर लेती है बुद्धि नीति के मार्ग पर चलकर पर चलती है और भविष्य का विचार कर उसे स्वीकार करती है। सुनीति ने अपने बेटों को नीति के मार्ग पर चलाकर भगवान के दर्शन और भगवान की भक्ति के लिए उत्सुकता प्रदान की ओर नारायण के दर्शन कर संसार सबसे पावन और मंगलमय ग्रह बना दिया। उत्तम सुरुचि का पुत्र जिसने सुख की कामना की ओर कुवृत्ति का कारक बना। ब्लू एक अकाट्य सत्य है जिसमें भक्ति की उत्सुकता है वही ध्रुव है। यह आध्यात्मिक वक्तव्य विचार मेंढकी रोड पर हो रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भागवताचार्य पंडित इंद्रेश उपाध्याय ने बड़ी सुंदर ढंग से अध्यात्म का विश्लेषण करते हुए कहा कि करते हुए ध्रुव चरित्र का वृत्तांत सुनाया। कथा में जड़ भरत के भक्ति चरित्र की कथा का सुंदर वर्णन किया। वृत्रासुर जैसे असुर की भक्ति के विषय में आध्यात्मिक विश्लेषण करते हुए भक्ति की पराकाष्ठा को व्यक्त किया। भक्त प्रहलाद की कथा का वर्णन राजा बलि की कथा के साथ आपने बताया कि राम का जन्म का भागवत में वर्णन क्यों किया गया? क्योंकि जब तक मर्यादित नहीं रहोगे तब तक कृष्ण की लीला को समझ नहीं पाओगे, कृष्ण लीला वही समझ सकता है, जिसने राम की लीला को समझा कृष्ण लीला समझने के लिए रजोगुण तमोगुण त्याग कर सतोगुण के साथ निर्गुणी बनना पड़ता है तब जाकर ठाकुर जी की लीला को समझ पाएंगे। भगवान कृष्ण के जन्म की भाब वीभोर करने वाली कथा बहुत सुंदर चित्रण किया गया। वासुदेव बने शंकर शर्मा जब बालकृष्ण बने अपने पौत्र शिवाय को लेकर कथा पंडाल में आए तो कृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन के लिए श्रोता झूम उठे और नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजन पर नृत्य करने लगे। कथा में व्यासपीठ की पूजा शंकर शर्मा ,पीयूष शर्मा एवं परिवार ने की। इस अवसर पर आरती में पुलिस प्रशासनिक अधिकारी महेंद्र सिंह परमार, सीहोर के राष्ट्रीय सम्मान से विभूषित आध्यात्मिक शिक्षक पं. संतोष शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल, प्रेस क्लब अध्यक्ष अतुल बागलीकर, संरक्षक एड. अनिल राज सिंह सिकरवार, अमिताभ शुक्ला, चेतन राठौड़, शेखर कौशल, शैलेंद्र अड़ावदिया, योगेश निगम, सुरेश शर्मा, अभिभावक संघ सचिव एडवोकेट चंद्रपाल सिंह सोलंकी, गौसेवा रक्षक बसंत वर्मा ने व्यासपीठ से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कथा का संचालन चेतन उपाध्याय ने किया।