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हिमांशु राठौर (बाबा साहब) की स्मृति में सम्मान समारोह आयोजित

सांसद, पूर्व महापौर, इतिहासकार सहित वरिष्ठ पत्रकारों एवं समाजसेवियों की उपस्थिति में हुआ कार्यक्रम

पत्रकारों एवं समाजसेवियों

का किया सम्मान

देवास। कहते हैं व्यक्ति का व्यक्तित्व व उसकी शख्सियत हमेशा जिंदा रहती है। हिमांशु राठौर (बाबा साहब) ऐसी शख्सियत थे, जिनके प्रेम व स्नेह ने समाज को एक नई दिशा दी, जिनके लिए उन्हें आज भी जाना जाता है। प्रेम का अनूठा पाठ अपने ढंग से सिखाने वाले हिमांशु राठौर बाबा साहब की स्मृति में रविवार को एक गरिमामय कार्यक्रम में पत्रकारों व समाजसेवी का सम्मान किया गया। यह कार्यक्रम समाज के हित में अपनी निष्पक्ष कलम चलाने वाले व समाज को एक नई दिशा प्रदान करने के लिए दिया गया। गत 3 वर्षों से लगातार प्रेस क्लब एवं राठौर परिवार द्वारा यह सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है। उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी, विशेष अतिथि दिलीप जाधव इतिहासकार, अध्यक्षता पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर एवं प्रेस क्लब अध्यक्ष अतुल बागलीकर ने की। सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ वीणावादिनी माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर हुआ। उसके पश्चात स्व. श्री हिमांशु राठौर को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई व उनके श्रेष्ठतम कार्यों को याद किया गया। सम्मान समारोह कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिकरवार, वरिष्ठ पत्रकार उदय आरस, वरिष्ठ पत्रकार नितिन गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार गगन शिवहरे व समाजसेवी मनोज श्रीवास्तव को अतिथियों एवं राठौर परिवार द्वारा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अतिथिगणों ने बाबा साहब को नमन कर पत्रकारिता के श्रेष्ठतम कार्यकाल को याद किया। सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी ने बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री ठाकुर ने कहा कि बाबा साहब की शख्सियत अनूठी थी। मैं जब उनसे पत्रकार बनने के बाद मिला तो मैं चोंक गया और उनकी कलम का कायल हो गया। आजकल के दौर में नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। आशा की किरण केवल न्यायपालिका व पत्रकारिता में ही दिखाई पड़ती है। श्री जाधव ने कहा कि साहित्यकार होने के नाते सच बोलने की आदत और समाज को आइना दिखाता रहा हूँ, जिस तरह का माहौल है उसमें पत्रकारिता की भूमिका बढ़ जाती है।  उद्बोधन के पश्चात अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए। कार्यक्रम का सफल संचालन अरविंद त्रिवेदी व आभार त्रिभुवन शर्मा ने माना।

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