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लोकतंत्र की मजबूती में जिसका मत नहीं, उसे योजनाओं का लाभ लेने का हक नहीं

पत्रकार शर्मा ने मुख्य चुनाव

आयुक्त, प्रधानमंत्री व

राष्ट्रपति को लिखा पत्र

देवास। देश में समय-समय पर लोकसभा व विधानसभा चुनाव होते हैं, जिसमें कहीं पर 40 तो कहीं पर 50 से 55% मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग नहीं करते हैं। चुनाव आयोग द्वारा कई बार शत-प्रतिशत मतदान हेतु जागरूकता अभियान चलाए गए, लेकिन नतीजा अभी भी वहीं का वहीं है। इसे लेकर पत्रकार ललित शर्मा ने मुख्य चुनाव आयुक्त नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। इसके साथ ही पत्र की एक प्रति सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी को भी प्रेषित की है। इस पत्र में कहा गया है कि जिसका मतदान में और सरकार चयन में मत न हो, उसे शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिले। मतदान के समय वीवीपैट मशीन की तरह एक अन्य मशीन भी लगाई जाए, जो उसी समय मतदाता को मतदान का प्रमाणपत्र उपलब्ध करा दे। यह मतदान प्रमाणपत्र विभिन्न शासकीय योजनाओं में अनिवार्य किया जाए और इस प्रमाणपत्र के न होने पर उक्त व्यक्ति को शासकीय योजनाओं का लाभ न दिया जाए। बिना प्रमाणपत्र के आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएं। यहां तक कि शासन की ओर से कोई भी लाभ अभ्यर्थी को मिले, उसमें लाभार्थी के स्वयं का प्रमाणपत्र अनिवार्य हो। जो योजनाएं संचालित हो रही हैं, उसमें लाभार्थियों की केवायसी अनिवार्य कराई जाए, जिसमें मतदान प्रमाणपत्र आवश्यक हो। ऐसे में होगा यह कि इस प्रमाणपत्र को हासिल करने के लिए और शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए लोकसभा व विधानसभा चुनावों में लोग अपनी रुचि दिखाएंगे और मतदान शत प्रतिशत होने की संभवनाएं प्रबल होंगी। ऐसे में न सिर्फ देश की जनता का बहुमत किस ओर है यह स्पष्ट होगा, बल्कि लोकतंत्र भी मजबूत होगा। वर्तमान में देश की लगभग आधी आबादी ही सरकारों का चयन कर रही है। ऐसे में कई बार मिलीजुली सरकारें बनती हैं, जो देशहित में भी नहीं रहती। मध्यावती चुनाव की नौबत भी आती है। यदि मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा, तो ऐसी संभावनाएं भी कम होंगी। हाल ही में हुए चुनाव में देखने में आया है कि देश के विभिन्न प्रदेशों में मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा। पहले और दूसरे चरण में तो मतदान का प्रतिशत निराशाजनक रहा। मतदाताओं ने मतदान में अपनी रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जो मतदाता सरकार चुनने में अपना मत न दें, उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ भी क्यों मिले? जब मतदाता ऐसे लाभ से वंचित रहेंगे तो उन्हें भी अपने मतदान का महत्व समझ आएगा और वे मतदान के लिए प्रेरित होंगे।

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